भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को और अधिक सरल, पारदर्शी और जनहितैषी बनाने के लिए सरकार ने GST 2.0 की शुरुआत की है। यह नई कर संरचना 1 जुलाई 2017 को लागू हुए मूल GST (Goods and Services Tax) का उन्नत संस्करण है, जिसका उद्देश्य पुरानी प्रणाली की कमियों को दूर करना और अर्थव्यवस्था को नई गति देना है। GST 2.0 का मुख्य लक्ष्य आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम करना, छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए प्रक्रियाओं को आसान बनाना, और व्यापार को प्रोत्साहित करना है।
इस नई प्रणाली में टैक्स स्लैबों को चार (5%, 12%, 18%, 28%) से घटाकर मुख्य रूप से दो (5% और 18%) कर दिया गया है, साथ ही लक्जरी और ‘सिन’ वस्तुओं के लिए एक विशेष 40% स्लैब जोड़ा गया है। यह बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू होगा, जो नवरात्रि का पहला दिन है। हालांकि, तंबाकू और इससे संबंधित उत्पादों पर पुरानी टैक्स दरें तब तक लागू रहेंगी जब तक मुआवजा संबंधित ऋण चुका नहीं लिया जाता। इस लेख में हम GST 2.0 की नई दरों, स्लैबों, सुधारों, आर्थिक प्रभावों, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
GST 2.0 के उद्देश्य
GST 2.0 का प्राथमिक उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना है। इसके तहत टैक्स स्लैबों की संख्या कम की गई है ताकि वर्गीकरण संबंधी विवाद कम हों। साथ ही, रिफंड और रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं को पूरी तरह ऑटोमेटेड करने का लक्ष्य है, जिससे व्यवसायों का समय और लागत बचे। छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को रजिस्ट्रेशन में छूट और प्री-फिल्ड रिटर्न की सुविधा दी जाएगी।
इसके अलावा, उलटा ड्यूटी स्ट्रक्चर (Inverted Duty Structure) की समस्या को हल किया गया है, खासकर टेक्सटाइल और उर्वरक क्षेत्रों में। यह समस्या तब होती है जब इनपुट टैक्स आउटपुट टैक्स से अधिक होता है, जिससे व्यवसायों को रिफंड की प्रक्रिया में दिक्कत होती थी। GST 2.0 में इस मुद्दे को संबोधित किया गया है ताकि कैश फ्लो बेहतर हो और व्यवसाय सुगमता से चल सकें।
आम आदमी, किसान, महिलाएं और युवाओं को इस नई प्रणाली से विशेष लाभ मिलेगा। आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स कम होने से उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी, जबकि लक्जरी और हानिकारक उत्पादों पर उच्च टैक्स लगाकर स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित किया जाएगा। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य क्लब, सैलून और योग केंद्रों जैसी सेवाओं पर टैक्स 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। यह बदलाव न केवल उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद है बल्कि अर्थव्यवस्था को $10 ट्रिलियन बनाने के भारत के दीर्घकालिक लक्ष्य को भी समर्थन देता है।
नई GST दरें और स्लैब
GST 2.0 में स्लैब संरचना को सरल बनाया गया है। अब मुख्य रूप से तीन स्लैब हैं:
- 5% स्लैब: इस स्लैब में रोजमर्रा की जरूरी वस्तुएं शामिल हैं, जैसे:
- खाद्य पदार्थ: पैक्ड फूड, बिस्कुट, नमकीन, बोतलबंद पानी, जूस, आइसक्रीम, कॉर्न फ्लेक्स, सीरियल्स, चपाती, परांठा, पनीर, खाखरा, जैम, टेंडर कोकोनट वॉटर।
- स्वास्थ्य और व्यक्तिगत देखभाल: साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, हेयर ऑयल, फीडिंग बॉटल, डायग्नोस्टिक किट, थर्मामीटर, दवाइयां।
- अन्य: साइकिल, कपड़े, बांस फर्नीचर, छाते, किचनवेयर, कॉम्ब्स, स्टेशनरी (पेंसिल, नोटबुक), कृषि मशीनरी (ट्रैक्टर पार्ट्स, हैंड पंप्स)। कुछ उत्पाद जैसे चपाती, परांठा, अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर मिल्क और पिज्जा ब्रेड पर जीरो टैक्स लागू होगा।
- 18% स्लैब: इस स्लैब में इलेक्ट्रॉनिक्स और मध्यम श्रेणी के वाहन शामिल हैं, जैसे:
- इलेक्ट्रॉनिक्स: टीवी, एयर कंडीशनर, स्मार्टफोन, डिशवॉशर, ऑटो कंपोनेंट्स।
- वाहन: छोटी कारें (1200 cc तक पेट्रोल या 1500 cc तक डीजल, लंबाई 4 मीटर से कम), मोटरसाइकिल (<350 cc)।
- अन्य: सीमेंट, बड़े घरेलू उपकरण।
- 40% स्लैब (सिन और लक्जरी आइटम्स): इस स्लैब में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक या लक्जरी वस्तुएं शामिल हैं, जैसे:
- तंबाकू उत्पाद: सिगरेट, गुटका, पान मसाला।
- पेय: एरेटेड ड्रिंक्स, कैफीनेटेड बेवरेज।
- वाहन: बड़ी कारें (>1200 cc), मोटरसाइकिल (>350 cc), याच, निजी हवाई जहाज, रेसिंग कार।
- मनोरंजन: कैसीनो, ऑनलाइन गेमिंग, लॉटरी, रेस क्लब सर्विसेज, हॉर्स रेसिंग, आईपीएल टिकट्स।
इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स दर में कोई बदलाव नहीं हुआ है और वे 5% पर ही रहेंगे। तंबाकू उत्पादों पर 40% टैक्स तब लागू होगा जब मुआवजा ऋण चुका लिया जाएगा।
पुराने और नए GST स्लैब की तुलना
पुरानी GST प्रणाली में चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) थे, साथ में कुछ उत्पादों पर सेस लागू था। यह संरचना जटिल थी और वर्गीकरण विवाद पैदा करती थी। GST 2.0 में स्लैबों को कम करके और दरों को पुनर्गठित करके इसे सरल बनाया गया है। निम्नलिखित तुलना से यह स्पष्ट होता है:
आइटम का प्रकार | पुराना रेट | नया GST रेट |
---|---|---|
रोजमर्रा की चीजें | 0%/5%/12%/18% | 5% (कुछ पर 0%) |
पर्सनल केयर और हाउसहोल्ड | 12-18% | 5% |
इलेक्ट्रॉनिक्स/वाहन | 18-28% (सेस सहित) | 18% |
इलेक्ट्रिक वाहन | 5% | 5% (कोई बदलाव नहीं) |
कपड़े | 12% | 5% |
लक्जरी वस्तुएं | 28% + सेस | 40% |
तंबाकू वस्तुएं | 28% + सेस | 40% (ऋण चुकाने के बाद) |
सेवाएं | 12-18% | 5% (स्वास्थ्य क्लब आदि) |
उदाहरण के लिए, साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट और हेयर ऑयल जो पहले 12-18% पर थे, अब 5% पर हैं। टीवी और एयर कंडीशनर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स 28% से घटकर 18% पर आ गए हैं। छोटी कारें जैसे Maruti Swift, Hyundai i20 अब 18% पर सस्ती होंगी, जबकि बड़ी कारें जैसे Toyota Fortuner, Tata Harrier 40% पर महंगी होंगी। मोटरसाइकिल में Hero Splendor, Honda Shine सस्ती होंगी, लेकिन Royal Enfield Himalayan 450, KTM Duke 390 महंगी होंगी।
GST 2.0 के प्रमुख सुधार
संरचनात्मक सुधार
GST 2.0 में स्लैबों की संख्या कम करके कर संरचना को सरल बनाया गया है। अब टैक्स दरों पर बार-बार संसद में चर्चा की जरूरत कम होगी। उलटा ड्यूटी स्ट्रक्चर की समस्या को हल किया गया है। उदाहरण के लिए, टेक्सटाइल क्षेत्र में मैनमेड फाइबर और यार्न की दरें 18% और 12% से घटाकर 5% कर दी गई हैं। उर्वरकों के इनपुट जैसे सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड भी 18% से 5% पर आ गए हैं। कृषि मशीनरी जैसे ट्रैक्टर पार्ट्स, हैंड पंप्स भी 5% पर हैं।
व्यवसायों के लिए लाभ
GST रिटर्न अब प्री-फिल्ड होंगे, जिससे छोटे कारोबारियों को अकाउंटेंट पर होने वाला खर्च कम होगा। रिफंड प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमेटेड होगी, और MSMEs के लिए रजिस्ट्रेशन पोर्टल में छूट दी जाएगी। कानूनी विवाद और टैक्स क्रेडिट की समस्याओं पर नियंत्रण आएगा। इससे व्यवसायों का कैश फ्लो बेहतर होगा और भारत में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में सुधार होगा।
प्रक्रियात्मक बदलाव
GST 2.0 में कई प्रक्रियात्मक सुधार किए गए हैं। रिटर्न प्री-फिल्ड होंगे, रिफंड प्रक्रिया फास्ट-ट्रैक होगी, और MSMEs के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया सरल होगी। स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी पर जीरो टैक्स लागू किया गया है। होटल रूम (7,500 रुपये तक की दर) पर टैक्स 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इकोनॉमी क्लास फ्लाइट टिकट्स भी 5% पर रहेंगे।
आर्थिक प्रभाव
GST 2.0 का आर्थिक प्रभाव व्यापक होगा। आवश्यक वस्तुएं जैसे साबुन, शैंपू, दवाइयां, बिस्कुट, साइकिल, और कपड़े सस्ते होंगे, जिससे आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ेगी। किसानों को उर्वरक और कृषि मशीनरी पर टैक्स में राहत से लाभ होगा। महिलाओं और युवाओं के लिए पर्सनल केयर और फिटनेस सेवाएं सस्ती होंगी। MSMEs को ऑटोमेटेड प्रक्रियाओं और सरल रजिस्ट्रेशन से फायदा होगा।
लक्जरी और हानिकारक उत्पादों पर उच्च टैक्स से फिजूलखर्ची कम होगी और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा मिलेगा। यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने में भी मदद करेगा। हालांकि, कुछ राज्यों को शुरू में राजस्व घाटे का सामना करना पड़ सकता है, जिसका अनुमान 80,000 से 1.5 लाख करोड़ रुपये के बीच है। फिर भी, यह प्रणाली दीर्घकाल में विकास और रोजगार को बढ़ावा देगी।
लागू तिथि और राज्यों की प्रतिक्रियाएं
GST 2.0 को 56वीं GST काउंसिल बैठक में 3 सितंबर 2025 को मंजूरी दी गई, जिसमें 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों ने भाग लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी, सिवाय तंबाकू उत्पादों के। कई राज्यों ने शुरू में राजस्व घाटे की चिंता जताई, लेकिन केंद्र ने इसे समाज-हितैषी और अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी बताया।
किन वस्तुओं और सेवाओं पर क्या असर पड़ेगा?
सस्ती हुई चीजें
- रोजमर्रा की वस्तुएं: साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, दवाइयां, बिस्कुट, पैक्ड फूड, साइकिल, कपड़े, किचनवेयर, स्टेशनरी (पेंसिल, नोटबुक)।
- वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स: मोटरसाइकिल (<350 cc) जैसे Hero Splendor, Honda Shine; छोटी कारें जैसे Renault Kwid, Maruti Swift; स्मार्टफोन, टीवी, एयर कंडीशनर।
- सेवाएं: स्वास्थ्य क्लब, सैलून, योग केंद्र, होटल रूम (7,500 रुपये तक), इकोनॉमी फ्लाइट टिकट्स।
महंगी हुई चीजें
- तंबाकू उत्पाद: सिगरेट, गुटका, पान मसाला।
- लक्जरी वस्तुएं: बड़ी कारें (>1200 cc) जैसे Toyota Fortuner, Tata Harrier; मोटरसाइकिल (>350 cc) जैसे Royal Enfield Himalayan 450; याच, निजी हवाई जहाज।
- मनोरंजन और पेय: एरेटेड ड्रिंक्स, कैफीनेटेड बेवरेज, कैसीनो, ऑनलाइन गेमिंग, लॉटरी, आईपीएल टिकट्स।
GST 2.0 की चुनौतियां
GST 2.0 के लागू होने में कुछ चुनौतियां हैं। राज्यों को शुरू में राजस्व घाटे का डर है, क्योंकि आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स कम होने से उनकी आय प्रभावित हो सकती है। लक्जरी और सिन गुड्स पर 40% टैक्स से कालाबाजारी या टैक्स चोरी की आशंका है। ग्रामीण क्षेत्रों में नई डिजिटल प्रक्रियाओं को लागू करना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि वहां तकनीकी आधारभूत ढांचा सीमित है।
हालांकि, सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक टास्क फोर्स गठित की है, जो डिजिटल गवर्नेंस और प्रशासनिक सुधारों पर काम करेगी। साथ ही, केंद्र ने राज्यों को राजस्व घाटे की भरपाई के लिए आश्वासन दिया है।
भविष्य और सरकार की योजनाएं
GST 2.0 भारत की टैक्स प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव है। 2025 के बजट में इनकम टैक्स रेट्स में भी कटौती की गई थी, जो अर्थव्यवस्था को गति देने का हिस्सा है। सरकार का लक्ष्य 2047 तक भारत को $10 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाना है। इसके लिए एक टास्क फोर्स बनाई गई है, जो आधुनिक प्रशासन, डिजिटल गवर्नेंस और आर्थिक सुधारों पर काम करेगी।
GST 2.0 के तहत डिजिटल प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने से पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार कम होगा। ऑटोमेटेड रिफंड और प्री-फिल्ड रिटर्न से छोटे व्यवसायों को लाभ होगा, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को बल मिलेगा।
निष्कर्ष
GST 2.0 भारतीय कर प्रणाली में एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल टैक्स संरचना को सरल और पारदर्शी बनाता है, बल्कि आम आदमी, किसानों, महिलाओं, युवाओं और MSMEs को भी राहत प्रदान करता है। आवश्यक वस्तुएं सस्ती होंगी, जबकि लक्जरी और हानिकारक उत्पाद महंगे होंगे, जिससे स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, राजस्व घाटे और डिजिटल प्रक्रियाओं को लागू करने की चुनौतियां हैं, लेकिन सरकार की प्रतिबद्धता और टास्क फोर्स के प्रयासों से इन्हें दूर किया जा सकता है।
GST 2.0 न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर देश की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ाएगा। यह सुधार उपभोक्ताओं और उद्योगों दोनों के लिए लाभकारी है, और इसके सफल कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों का सहयोग महत्वपूर्ण होगा।
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