2025 में जीएसटी दरों में बदलाव: क्या सस्ता और क्या महंगा हुआ

2025 में जीएसटी दरों में बदलाव: क्या सस्ता और क्या महंगा हुआ

भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कई महत्वपूर्ण बदलाव घोषित किए गए हैं, जो व्यवसायों, उद्यमियों और आम उपभोक्ताओं के लिए दूरगामी प्रभाव डालेंगे। ये बदलाव जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक (21 दिसंबर 2024) और इसके बाद जारी अधिसूचनाओं पर आधारित हैं, जो 16 जनवरी 2025 से लागू हो गए हैं। इस लेख में, हम इन बदलावों को विस्तार से समझेंगे, जो उत्पादों और सेवाओं की कीमतों को प्रभावित कर रहे हैं, साथ ही यह भी जानेंगे कि इनसे आपके दैनिक जीवन या व्यवसाय पर क्या असर पड़ सकता है।


क्या सस्ता हुआ?

जीएसटी परिषद ने 2025 में कई आवश्यक वस्तुओं और स्वास्थ्य से संबंधित उत्पादों पर दरों में कमी की है, ताकि जनता को राहत मिल सके और पोषण व स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा दिया जा सके। इनमें शामिल हैं:

  1. फोर्टिफाइड राइस केरनेल (FRK)
    • नई दर: 5% (पहले संभवतः 18% या उच्चतर)
    • विवरण: HSN कोड 1904 के तहत फोर्टिफाइड राइस केरनेल, जो विटामिन और खनिजों से युक्त होते हैं, अब केवल 5% जीएसटी के दायरे में हैं। यह कदम सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और गरीब वर्ग के लिए पोषण सुनिश्चित करने की दिशा में है।
    • प्रभाव: खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी, और बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ेगी।
    • उदाहरण: सरकार की मिड-डे मील योजना में इसका उपयोग सस्ता और प्रभावी होगा।
  2. जीन थेरेपी
    • नई दर: 0% (पूरी तरह छूट)
    • विवरण: दुर्लभ आनुवंशिक रोगों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली जीन थेरेपी को जीएसटी से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है। यह निर्णय स्वास्थ्य मंत्रालय और जीएसटी परिषद के बीच समन्वय का परिणाम है।
    • प्रभाव: मरीजों के लिए इलाज की लागत में भारी कमी आएगी, खासकर जो विदेशी थेरेपी पर निर्भर थे।
    • उदाहरण: हीमोफीलिया या सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसे रोगों के मरीजों को लाभ होगा।
  3. कैंसर दवाएं
    • नई दर: 5% (पहले 12%)
    • विवरण: 54वीं जीएसटी परिषद की बैठक (नवंबर 2024) में कैंसर रोगियों के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% किया गया। यह राहत विशेष रूप से कीमोथेरेपी और लक्षित चिकित्सा दवाओं पर लागू है।
    • प्रभाव: मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए कैंसर उपचार की लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी।
    • उदाहरण: दवाओं जैसे ट्रास्टुजुमाब या रीतक्सिमाब अब सस्ती होंगी।
  4. नमकीन और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ
    • नई दर: 12% (पहले 18%)
    • विवरण: 54वीं बैठक में पैकेज्ड नमकीन, चिप्स और अन्य स्नैक्स पर जीएसटी 18% से घटाकर 12% किया गया, बशर्ते ये ब्रांडेड हों।
    • प्रभाव: रोजमर्रा के उपभोक्ताओं के लिए यह राहत होगी, खासकर त्योहारी सीजन में।
    • उदाहरण: लोकप्रिय ब्रांड्स जैसे हल्दीराम या लिज़्जत की नमकीन सस्ती हो सकती हैं।
  5. मोलासेस
    • नई दर: 5% (पहले 28%)
    • विवरण: शराब, चीनी और अन्य औद्योगिक उत्पादों के लिए उपयोग होने वाला मोलासेस अब 5% जीएसटी के दायरे में है।
    • प्रभाव: इससे संबंधित उद्योगों की उत्पादन लागत में कमी आएगी।
    • उदाहरण: शराब उद्योग और बायोफ्यूल निर्माताओं को लाभ होगा।

क्या महंगा हुआ?

हालांकि जून 2025 तक कोई प्रमुख वृद्धि लागू नहीं हुई है, लेकिन भविष्य में कुछ वस्तुओं पर जीएसटी दरों में बढ़ोतरी की चर्चा चल रही है। ये प्रस्ताव अभी विचाराधीन हैं और 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक (जून-अगस्त 2025 में संभावित) में अंतिम रूप ले सकते हैं। संभावित बदलाव निम्नलिखित हैं:

  1. सिगरेट और तंबाकू उत्पाद
    • प्रस्तावित दर: 28% से 35%
    • विवरण: स्वास्थ्य मंत्रालय की सिफारिश पर तंबाकू उत्पादों पर अतिरिक्त कर लगाने की योजना है, जिसमें सिगरेट, बीड़ी और चबाने वाला तंबाकू शामिल हैं।
    • प्रभाव: धूम्रपान कम करने की दिशा में कदम, लेकिन उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ेंगी।
    • नोट: अभी यह अधिसूचित नहीं हुआ है।
  2. कार्बोनेटेड पेय
    • प्रस्तावित दर: 28% से 35%
    • विवरण: कोका-कोला, पेप्सी जैसे शीतल पेय और एनर्जी ड्रिंक पर संभावित वृद्धि की बात चल रही है, क्योंकि इन्हें अस्वास्थ्यकर माना जाता है।
    • प्रभाव: युवाओं और शहरी उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा।
    • नोट: निर्णय अभी लंबित है।
  3. लक्जरी वस्तुएं
    • प्रस्तावित दर: मूल दर + संभवतः 5-10% वृद्धि
    • विवरण: कीमत के आधार पर जूते (₹15,000+), कपड़े (₹50,000+), और अन्य लक्जरी सामानों पर उच्च जीएसटी की संभावना है।
    • प्रभाव: अमीर वर्ग और आयातित उत्पादों पर असर।
    • नोट: यह उच्च मूल्य वाले सामानों को लक्षित करेगा।

अन्य महत्वपूर्ण बदलाव

इन दरों के अलावा, जीएसटी व्यवस्था में कुछ तकनीकी और अनुपालन से संबंधित बदलाव भी हुए हैं, जो व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण हैं:

  1. ई-इनवॉइसिंग का विस्तार
    • तारीख: 1 अप्रैल 2025 से
    • विवरण: ₹1 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए क्रेडिट नोट्स पर ई-इनवॉइसिंग अनिवार्य।
    • प्रभाव: डिजिटल अनुपालन बढ़ेगा, लेकिन त्रुटियों से ITC रुक सकता है।
    • सलाह: सॉफ्टवेयर जैसे TallyPrime का उपयोग करें।
  2. मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA)
    • तारीख: 1 अप्रैल 2025 से
    • विवरण: जीएसटी पोर्टल पर सभी लॉगिन और फाइलिंग के लिए MFA अनिवार्य।
    • प्रभाव: सुरक्षा बढ़ेगी, लेकिन प्रक्रिया जटिल हो सकती है।
    • सलाह: मोबाइल और ईमेल को अपडेट रखें।
  3. रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM)
    • विवरण: विदेशी सप्लायर्स (जैसे OTT, SaaS) से सेवाओं पर RCM के तहत जीएसटी भुगतान और ITC के लिए सेल्फ-इनवॉइस जरूरी।
    • प्रभाव: छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन बोझ बढ़ सकता है।
    • सलाह: तिमाही ऑडिट करें।

व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए सलाह

  • उपभोक्ता: सस्ती वस्तुओं (जैसे कैंसर दवाएं, नमकीन) का लाभ उठाएं, लेकिन लक्जरी खरीदारी पर सावधानी बरतें।
  • व्यवसाय: ई-इनवॉइसिंग और RCM के लिए जल्दी तैयारी करें। CBIC के वेबिनार (gst.gov.in/e-learning) से अपडेट रहें।
  • प्रशिक्षण: अकाउंट्स टीम को मासिक 2 घंटे प्रशिक्षण दें।

निष्कर्ष

2025 में जीएसटी दरों में बदलाव मुख्य रूप से स्वास्थ्य और आवश्यक वस्तुओं को सस्ता करने पर केंद्रित हैं, जबकि हानिकारक और लक्जरी उत्पादों पर संभावित वृद्धि की योजना है। ये कदम कर संग्रह को बढ़ाने और आर्थिक असमानता कम करने की दिशा में हैं। व्यवसायों और उपभोक्ताओं को इन बदलावों के साथ तालमेल बिठाना होगा। नवीनतम जानकारी के लिए gst.gov.in और CBIC अधिसूचनाओं पर नजर रखें।

आपकी राय: कमेंट में बताएं, “क्या सस्ता होना आपके लिए सबसे फायदेमंद है?”

स्रोत:

  • जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक (21 दिसंबर 2024)
  • CBIC अधिसूचना संख्या 02/2025
  • वित्त मंत्रालय के प्रेस रिलीज (जनवरी 2025)

लेखक: Fintax360


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